भारतीय विरासत
भारत के विश्व धरोहर एवं सांस्कृतिक स्थल
Heritage Of India
UNESCO World Heritage Sites in India
List of UNESCO World Heritage Sites in India in Hindi
भारतीय विरासत को सम्पूर्ण विश्व में अपनी विविधता एवं अनुकरणीयता के लिए जाना जाता है। भारत में अब तक कुल 30 सांस्कृतिक धरोहर स्थल है। UNESCO (यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाईजेशन) के द्वारा विशिष्ठ महत्त्व के स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्रदान की जाती है। UNESCO द्वारा यह कार्य वर्ष 1972 से इसके एक विभाग (विश्व धरोहर समिति) के द्वारा सम्पादित किया जा रहा है।
About - UNESCO
UNESCO (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) संयुक्त राष्ट्र (UN ) का एक विशिष्ट अंग है। इसका मुख्यालय फ़्रांस के एक राज्य पेरिस में स्थित है। UNESCO की स्थापना 16 नवम्बर, 1945 को की गयी थी। इसके गठन का मुख्य उद्देश्य विश्व में शिक्षा एवं सांस्कृतिक सुरक्षा की स्थापना करते हुए अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ाना है।
भारत के विश्व धरोहर एवं सांस्कृतिक स्थल
UNESCO World Heritage Sites in India
आगरा का ताज महल
आगरा में यमुना नदी के किनारे पर अवस्थित ताजमहल का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहां द्वारा करवाया गया था। ताज महल का निर्माण वर्ष 1648 में पूर्ण हुआ था। ताज महल को प्यार की निशानी के रूप में जाना जाता है और यह अपनी अनूठी स्थापत्य कला के लिए विश्व प्रसिद्द है। ताज महल को वर्ष 1983 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
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आगरा का किला (आगरा फोर्ट)
यह किला भी आगरा में ताजमहल के नजदीक ही स्थित है। यह किला लाल बलुआ पत्थरों से बना हुआ है। आगरा फोर्ट को वर्ष 1983 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
अजंता की गुफाएँ
अजंता की गुफाएँ पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वतमाला में स्थित है। यह स्थान महाराष्ट्र के औरंगाबाद में है। इन गुफाओं की खोज लगभग छठवीं सदीं में हुई थी। यहां कुल 29 गुफाएँ पाई गयी है। अजंता की गुफाओं को वर्ष 1983 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
भारतीय कला एवं संस्कृति
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महाबलीपुरम के मंदिर एवं स्मारक
महाबलीपुरम नमक स्थान दक्षिण क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी के पास स्थित कोरोमंडल तट पर विधमान है। यहाँ के विश्व प्रसिद्द मंदिरो एवं स्मारकों का निर्माण लगभग सातवीं से आठवीं शताब्दी के मध्य पल्लव वंश के शासकों के द्वारा कराया गया था। इस शहर महाबलीपुरम को सप्त पैगोडा के नाम से भी जाना जाता है। महाबलीपुरम के मंदिरों एवं स्मारकों को वर्ष 1984 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
कोणार्क का सूर्य मंदिर
भगवान् सूर्य को समर्पित यह रथ रूपी मंदिर ओडिशा जिले के पुरी जिले में अवस्थित है। नरसिंहदेव - 1 द्वारा तेरहवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था।
खजुराहो के मंदिर
यह मंदिर अपनी कामरूपी मूर्तिकला के लिए प्रसिद्द है। मध्यप्रदेश में स्थित इस मंदिर श्रंखला का निर्माण दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में चंदेल वंश के द्वारा कराया गया था। यह मंदिर नगर शैली में निर्मित है और जैन व हिन्दू दोनों धर्मों से सम्बंधित है। खजुराहो के मंदिरों को वर्ष 1986 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
आगरा का फतेहपुर सीकरी
यह स्थान एक समय मुग़ल साम्राज्य की राजधानी के रूप में रह चुका है। इसका निर्माण लगभग सोलहवीं शताब्दी में सम्राट अकबर के द्वारा किया गया था। आगरा के फतेहपुर सीकरी को वर्ष 1986 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
गोवा का बेसिलिका ऑफ़ बॉम जीसस
यह गोवा का एक चर्च है। यह सम्पूर्ण एशिया में ईसाई धर्म का प्रचारक था। बेसिलिका ऑफ़ बॉम जीसस को वर्ष 1986 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
एलिफेंटा की गुफाएँ
एलिफेंटा की गुफाओ का निर्माण लगभग 5 वीं से 6 वीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह गुफाएँ शैव धर्म से सम्बंधित स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। एलिफेंटा की गुफाएँ महाराष्ट्र राज्य मुंबई महानगर में स्थित है। एलिफेंटा की गुफाओ को वर्ष 1987 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
साँची का स्तूप
यह मध्य प्रदेश में स्थित एक बौद्ध स्थल है बाहरवीं शताब्दी में यहाँ बौद्ध शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। यह अपने अनुकरणीय स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। साँची का स्तूप को वर्ष 1989 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
हुमांयूं का मकबरा
यह मकबरा भारत में स्थित अपनी तरह का पहला मकबरा है इसी वजह से इस मकबरे का सांस्कृतिक महत्त्व है। हुमायूँ का मकबरा आगे चलकर ताजमहल के निर्माण शैली का आधार बना था। इसका निर्माण वर्ष 1570 में किया गया था। हुमांयूं के मकबरे को वर्ष 1993 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
दिल्ली की कुतुबमीनार
इस मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू एवं इल्तुमिश ने पूर्ण कराया था। कुतुबमीनार की ऊंचाई लगभग 75 मीटर है। कुतुबमीनार को वर्ष 1993 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी।
भारत के विश्व धरोहर एवं सांस्कृतिक स्थल
पार्ट - 2
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